मारसोनीना ब्लॉच
विवरण
मारसोनीना ब्लॉच बीमारी मारसोनीना कोरोनेरिया नामक फंगस के कारण होती है। यह भारत में सेब की सबसे गंभीर बीमारी है। सेब की सभी वाणिज्यिक किस्में इस बीमारी के लिए अतिसंवेदनशील होती है। मारसोनीना ब्लॉच के कारण होने वाली मुख्य क्षति फल तुड़ान से पहले ही पेड़ से पत्तों का गिर जाना होता है । इस फंगस से पत्तियों और फल दोनों पर काले धब्बे पड़ सकते है, और पतियाँ समय से बहुत पहले गिर सकती है जिससे पेड़ कमजोर हो सकता है।
लक्षण
यह रोग आम तौर पर गर्मियों में होनी वाली बारिश में पत्तियों के ऊपरी हिस्से में ग्रे-ब्लैक स्पॉट के साथ शुरू होता है। समय के साथ यह धब्बें किनारों से लाल हो जाते है और आकार में और बड़े हो जाते है। संक्रमित हुए कई पत्ते पीले रंग में बदल जाते है और समय से पहले पेड़ से गिर जाते हैं। पहले लक्षण के दिखने के लगभग दो हफ्तों के बाद पतें गिरने शुरू हो जाते है। गंभीर अवशोषण (पतें गिरना ) सेब की मात्रा और गुणवत्ता को कम कर सकता है और कभी-कभी शरद ऋतु में फिर से लेट ब्लूम को प्रारंभ कर सकता है, जिससे अगले सीजन में फल सेट में कमी आती है। आम तौर पर फल पर कोई लक्षण नहीं दिखता लेकिन भारी संक्रमित बगीचों में कभी कभी फलों पर भी लक्षण देखा जा सकता है।
नियंत्रण
गैर-रासायनिक नियंत्रण
इस रोग को दूर रखने के लिए उचित स्वच्छता की आवश्यकता होती है। मारसोनीना ब्लॉच के बीजाणु शरद ऋतु में गिरने वाली पत्तियों को नष्ट कर कुछ हद तक नियंत्रित किए जा सकते हैं।
रासायनिक नियंत्रण
फंजीसाइड्स की सुरक्षात्मक स्प्रे मारसोनीना ब्लॉच की बीमारी की घटनाओं में महत्वपूर्ण कमी प्रदान करते हैं। मारसोनीना ब्लॉच संक्रमण ब्लूम के 50 दिनों के बाद होना शुरू होता है। ब्लूम के 50 दिनों तक मारसोनीना ब्लॉच के लिए कोई स्प्रे करने की आवश्यकता नहीं होती है। मारसोनीना की रोकथाम के लिए पहले की गयी सुरक्षात्मक स्प्रे लाभ कारी पाई गयी है। यदि मौसम शुष्क हो तो ब्लूम के 50 दिनों के बाद हर 20 दिनों के अंतराल में स्प्रे की जाती है, अगर मौसम आर्द्र या बरसात रहती है तो 12 दिन के अंतराल पर स्प्रे की जाती है।
निम्नलिखित फंगसाइड्स मारसोनीना ब्लॉच के खिलाफ प्रभावी पाए गये हैं और अधिकतम रोग नियंत्रण प्रदर्शित करते हैं-
- Mancozeb
- Dodine
- Thiophanate-Methyl
- Metiram
- Trifloxystrobin
- Copper Oxychloride ( केवल फल तुड़न के बाद )
संयोजन में इस्तेमाल किए गए फंजीसाइड्स अक्सर प्रभावी पाए गये है और कीट प्रतिरोध में वृद्धि की संभावनाओं को कम करते हैं।
- Dodine plus Hexaconazole
- Zineb plus Hexaconazole
- Mancozeb plus Carbendazim
- Fluopyram plus Pyrachlostrobrin
- Metiram plus Pyrachlostrobrin
- Tebuconazole plus Trifloxystrobin
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