सेब के पेड़ों का रोपण
परिचय
सेब वाणिज्यिक रूप से राज्य का सबसे महत्वपूर्ण फल है। सेब के पेड़ों का उत्पादन आसान है परंतु बहुत सारे कारकों पर निर्भर करता है। अर्थात स्थल चयन, उचित बाग प्रबंधन, स्टॉक और किस्मों का मोजूदा भूमि और मौसम के लिए अनुकूलित होना। सेब के पेड़ समुंद्र तल से 1500 मीटर की ऊंचाई से 2700 मीटर की ऊंचाई की रेंज में उगाए जा सकते है। सेब के पेड़ों को पर्याप्त सर्दियों की आवश्यकता होती है, जिसमें तापमान 7 डिग्री सेल्सियस से नीचे बना रहे। सेब के पेड़ दोमट मिट्टी में सबसे अच्छा प्रदर्शन करते है जो जैविक पदार्थों से समृद्ध होती है ओर जिसका P.H 6.0-7.0 रेंज में होता है।
याद रखने वाली बातें
हमेशा रोग प्रतिरोधी पेड़ों का उपयोग करना चाहिए।
हमेशा अच्छी जड़ प्रणाली वाले एक साल के पेड़ ही खरीदने चाहिए।
वैराइटी / रूटस्टॉक को स्थान के अनुसार ही चुना जाना चाहिए।
लगाने से पहले पौधे की जड़ों को पानी में भिगो देना चाहिए।
रोपण के बाद तुरंत पौधे में पानी डाले ।
रोपण के बाद तुरंत मलचिंग करें।
पाले वाली परिस्थितियों में पेड़ों को रोपित ना करें।
सेब के पेड़ को बड़े जंगली पेड़ों के पास नहीं लगाना चाहिए।
नये पेड़ों को रोपण के बाद ग्राफटिंग बिंदु से लगभग 30 सेंटी मीटर उपर से काट देना चाहिए।
विचाराधीन जलवायु
वृक्षारोपण से पहले अपने क्षेत्र में जलवायु का विश्लेषण करना बहुत आवश्यक होता है। सेब की लगभग सभी किस्मों को 1000 से अधिक शीत घण्टो (तापमान 7 डिग्री से कम) की ज़रूरत होती है। लेकिन कुछ किस्में जैसे, टाइड्मन अर्ली, अन्ना, डोरसेट गोल्डन और गाला शामिल है, जिनको कम शीत घंटों की आवश्यकता होती है। इसलिए अपने बगीचे के स्थान की जलवायु के हिसाब से सेब की किसम का चयन करना चाहिए। अगर आपके स्थान पर कम सर्दियाँ पड़ती है और वहाँ देर वसंत में पाला पड़ता हो तो जल्दी फूलने वाली सेब की किस्मों के फूल मर सकते है। क्षेत्र में वार्षिक वर्षा का हिसाब किताब रखे , अगर सूखे की हालत का आसार हो तो उस रूटस्टॉक का चयन करें जिसकी सूखा प्रतिरोधी क्षमता अधिक हो।
साइट चयन और मिट्टी
यह सलाह दी जाती है की सेब लगाने से पूर्व मिट्टी की जाँच करनी चाहिए जिस से पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए ज़रूरी संशोधन का निर्धारण करने में मदद मिल जाए और मिट्टी के पीएच को भी समायोजित किया जा सके। सेब के पेड़ों के लिए आदर्श पीएच रेंज 6.0-7.0 होती है। सेब के पेड़ों को अच्छी नमी और पोषक तत्वों की धारण क्षमता के साथ गहरी और अच्छी तरह से गीली बलुई मिट्टी की आवश्यकता होती है। मृदा में जल जमाव नहीं होना चाहिए और उचित जल निकासी वाली मिट्टी सेब की खेती के लिए सबसे उपयुक्त होती है। लाल मिट्टी (clay) को कुछ रेतीली मिट्टी के साथ मिलाया जाना चाहिए ताकि संघनन कम हो और मिट्टी में वातन का सुधार करने में मदद मिले । सेब के पेड़ को सूर्य के प्रकाश की कम से कम 6 घंटे की आवश्यकता होती है। सेब के लिए आदर्श भूमि एक उत्तर या पूर्व दिशा का सामना करने वाली भूमि होती है। उस साइट का चयन करें जो तूफान और ओलों के प्रभाव से मुक्त हो और जहाँ जंगली जानवरों का खतरा भी ना हो।
किस्म / रूटस्टॉक का चयन…
सेब का पेड़ साल भर कभी भी लगाया जा सकता है हालांकि, इस कार्य के लिए सबसे अच्छा समय सर्दियों में होता है जब पेड़ निष्क्रिय होते है । पेड़ का अंतिम आकार इस्तेमाल किए गये रूटस्टॉक और कलम पर निर्भर करता है। पेड़ों के बीच की दूरी को इसी हिसाब से आयोजित करना चाहिए। एक बीघा के एक क्षेत्र में पौधों की औसत संख्या 15 से 100 तक हो सकती हैं। सेब की किस्म को फल विशेषताओं और ब्लूम समय के आधार पर चयन किया जाना चाहिए। कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कम चिलिंग वाली किस्मों का चयन करना चाहिए। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में वो किस्में लगानी चाहिए जिन्हे अधिक चिलिंग घंटो की ज़रूरत होती है। लगाए गये रूटस्टॉक और उस पर प्रचारित सेब की क़िस्मों का अच्छा संयोजन होना ज़रूरी है। बहुत कम वृद्धि वाली किस्मों को अच्छी ग्रोथ वाले रूट स्टॉक पर ग्राफ्ट किया जाना चाहिए। (उधारण : एम.9 पर ग्रॅफटेड सुपर चीफ अच्छी तरह से विकसित नहीं होता है । )
साइट का ले-आउट
हिमाचल प्रदेश की घाटियों में सेब के पेड़ों का रोपण, वर्गाकार या हेक्सागोनल प्रणाली के हिसाब से किया जाता है।जबकि ढलानों पर रोपण की समोच्च प्रणाली के हिसाब से किया जाता है। यह दृढ़ता से सिफारिश की जाती है कि उचित फल की स्थापना के लिए परागण किस्मों के पौधे को रोपित करना अत्यंत आवशायक् है। हर साल फसल प्राप्त करने के लिए एक बाग में कम से कम 33% परागण किस्मों को लगाया जाना चाहिए।
गड्ढों की तैयारी
सेब के पेड़ को अच्छी वृद्धि के लिए उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता होती है। पेड़ रोपण से पहले मिट्टी का परीक्षण करने की सिफारिश की जाती है। नवंबर माह में आकार 1m * 1m* 1m के गड्ढे तैयार करे। कुछ मिट्टी को वापस गड्ढे में डाल दें और गड्ढों की दीवारों पर मिट्टी को ढीला करें ताकि जड़ों को आसानी से प्रवेश मिल सके। मिट्टी से घास फूस को हटा लें और गड्ढों को 1 महीने के लिए खुले रहने दें। गड्ढे भरते वक़्त अच्छी तरह से 20-30 किलो सड़ी गली गोबर की खाद को सिंगल सुपर फॉस्फेट 500 ग्राम के साथ अच्छी तरह मिटी मे मिलायें। गड्ढे अबाधित रखे जाने चाहिए और रोपण 3 सप्ताह के बाद किया जाना चाहिए।
वृक्षारोपण
पेड़ हमेशा पंजीकृत नर्सरी से ही खरीदें, और धैयान रखे की पेड़ की जड़े स्वस्थ हो । पेड़ खरीदने के बाद, इसे सुखने से सुरक्षित रखा जाना चाहिए । बड़े पेड़ों की तुलना में अच्छी जड़ प्रणाली वाले छोटे पेड़ अच्छी तरह से बढ़ते है। पेड़ की जड़ों को जाँच ले और जो जड़ें टूट गयी है या क्षतिग्रस्त हो गयी है उन्हें काट दीजिए। रोपण से पहले 4-5 घंटे के लिए जड़ों को पानी से भीगों लें। गड्ढे से मिट्टी को बाहर निकालें और गड्ढे के केंद्र में पेड़ को लगाएँ । पेड़ को सीधा पकड़ें और मिट्टी को वापिस भर दें । उपर की मिटी को पहले डालें। मिट्टी को अच्छी तरह से बिठा लें। ये निश्चित कर लें की मिट्टी जड़ों के चारों ओर बराबर तरह से स्थापित हो जाए ओर कोई भी हवा के पॉकेट्स ना रहें । सुनिश्चित करें कि पेड़ के कलम संघ, जमीन के ऊपर 2-4 इंच रहना चाहिए, ताकि कलम बिंदु से जड़े उत्पन ना हो।
सिंचाई और मल्चिंग
रोपण के बाद, पेड़ की जड़ों के आसपास मिट्टी व्यवस्थित करने के लिए तुरंत पानी डाला जाना चाहिए। शुष्क अवधि के दौरान साप्ताहिक सिंचाई की जानी चाहिए, विशेष रूप से प्रथम वर्ष के रोपण के दौरान। अगर सिंचाई संभव नहीं है, तो नमी को बनाए रखने के लिए मलचिंग की जानी चाहिए । गीली घास या मलचिंग की सामग्री को पेड़ के तने से दूर रखें, क्योंकि यह तने पर हमला करने वाले कई कीटो को आमंत्रित करते है।
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