प्रीनुस सेब जड़ बोरर
परिचय
यह हिमाचल प्रदेश मे सेब के बगीचे में सामान्य रूप से पाए जाने वाली एक बहुत बड़ी भृंग है। यह भृंग जमीन के ऊपर हमला नहीं करती परंतु यह सेब के पेड़ की जड़ों को खाती है
इस बोरर का गंभीर संक्रमण पेड़ की मौत का कारण बन सकता है। यह एक रूट बोरिंग कीट है जिसका लार्वा पेड़ की अनेक क़िस्मों की जड़ों का सेवन करता है जो अक्सर पेड़ों की मौत का कारण बनता है । कीटनाशक अनुप्रयोग इनकी आबादी को कम करने में अप्रभावी पाए गये है। इनका रंग गहरे भूरे रंग से लेकर लगभग पूरा काला होता है। इन बोरेर्स के लार्वा कीड़ों मे सबसे बड़े हैं, जो की पेड़ो की जड़ों पर हमला करता है । ये स्फेद और हल्के पीले रंग के होते हैं और इनके बहुत छोटे पैरों की तीन जोड़ी होती है।
जीवविज्ञान
युवा लार्वा रूप में 6 इंच तक लंबे हो सकते है जो वृक्ष की जड़ों को खोजने के लिए मिट्टी में सुरंगों बनाते हैं। इनका जीवन काल 3-4 साल का होता है। युवा लार्वा छोटे व्यास वाली जड़ों का भोजन करतें है और अंत में परिपक्व लार्वा के रूप में पेड़ के क्राउन (ताने का मध्य ) तक पहुँचते है । गर्मियों के दौरान,लार्वा 6-18 इंच की गहराई के आसपास फ़ीड करते हैं और सर्दियों में वे मिट्टी की सतह के नीचे लगभग 36 इंच तक उतरजाते हैं । प्रीनुस सेब के पेड़ के बोरर का वयस्क एक बड़ी बीटल होता है जो लंबाई मे 1- 3 इंच तक हो सकते है।
वयस्क भृंग बीटल वसंत ऋतु के आख़िर और गर्मियों की शुरुआत में मिट्टी से उभरने लगते है और अक्सर रात में रोशनी की तरफ़ आकर्षित होते हैं। दिन मे वयस्क खुद को पेड़ के मलबे या किसी जैविक पदार्थ के नीचे छुपाती है । वयस्क मादा 7-10 दिन जीती हैं और वयस्क नर 5-7 दिन जीते हैं । गर्मियों में मादा जड़ों पर या जड़ों से सटी मिट्टी में अंडे देती हैं । एक एकल मादा उसके 15-20 दिन के जीवन काल के दौरान 100-200 अण्डे दे सकती हैं।
नुकसान
प्रीनुस जड़ बोरेर्स विशेष रूप से जड़ों के बोरार हैं और केवल पौधों की जड़ों पर भोजन करते हैं क्षति लार्वा दवारा सेब के पेड़ की जड़ों को खाए जाने से होती है जड़ों को क्षति होने से पेड़ों मे पानी और पोषक तत्व के प्रवेश में तेज गिरावट आ जाती है गंभीर संक्रमण सीधे सेब के पेड़ को मार सकता है और पुराने पेड़ों को गिरने के लिए अतिसंवेदनशील बनाते हैं।
निगरानी
वयस्क भृंग पर प्रकाश जाल के साथ नजर रखी जा सकती है। भृंग आम तौर पर जून से अगस्त में सूर्यास्त के बाद उड़ान भरते है। इन लार्वा को पेड़ के तने के चारों ओर 5-10 इंच गहरी मिट्टी में देखा जा सकता है।
मिट्टी को हटा कर जड़ों में संक्रमण के की खोज की जा सकती है। आमतौर पर, इस बोरर से क्षतिग्रस्त पेड़ों पर पीली पत्तियों होने के संकेत होते है और तेज़ गर्मियों के दौरान मर सकते हैं।
नियंत्रण
जैविक नियंत्रण:
इसकी रोकथाम का एक मात्र रास्ता नियंत्रण है। अपने बगीचे को घास और अन्य कार्बनिक पदार्थ से मुक्त रखें । इस तरह बोरार को अपने प्राकृतिक शिकारियों से छिपने का मौका नहीं मिलता।
अपने पेड़ों को स्वास्थ्य रखें और उन्हें तनाव से मुक्त रखें। बहुत ज़यादा पीड़ित पेड़ों को फिर से स्वस्थ नहीं किया जा सकता इस लिए उन्हें हटा और जला देने चाहिए। गर्मियों मे वयस्क भरींगों को बगीचे में प्रकाश जाल रखकर मारा जा सकता है। बेऔवेरिया बस्सियाना की तरह किसी भी जैविक कीटनाशक के सराबोर आवेदन भी प्रभावी पाया गया है।
रासायनिक नियंत्रण:
प्रीनुस एप्पल रूट बोरेर्स के लिए कोई भी पंजीकृत कीटनाशक नही है। ईमिदक्लोप्रड की तरह किसी भी प्रणालीगत कीटनाशक के प्रयोग से युवा लार्वा जो जड़ों पर होते हैं, उनके प्रभंदन मे मदद मिल सकती है। यह निचली ट्रंक में तैनात पुराने लार्वा को नियंत्रित नहीं कर सकता। प्रतिवर्ष अगर ईमिदक्लोप्रड का इस्तेमाल किया जाए तो लार्वा आबादी को नियंत्रित कर सकते हैं। च्लोरपयरीफोस की तरह अन्य कीटनाशकों से इन लार्वा को अंडा देने से रोका सकते है । अगर ताजा कीटनाशक अवशेष निचली ट्रंक पर मौजूद हो, लेकिन इस से जड़ों पर लार्वा की आबादी को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।
कई वर्षों में प्रणालीगत कीटनाशक का इस्तेमाल लार्वा आबादी को दबाने के लिए एक मात्र रास्ता होता है।
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